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Sunday, January 30, 2011

तूम कितनी सुन्दर लगती हो

तुम कितनी सुन्दर दिखती हो
जैसे अजंता की मूरत दिखती हो
तुम बिना सजे पूनम का चाँद लगती हो
सजती हो साज तो चार चाँद लग जाते है
तुम चलती हो तो जैसे सागर की लहर लगती हो
और अगर रूठ जाओ तो ठण्ड की धुप सी लगती हो
तुम हंसो तो बंसरी की धुन लगती हो
जब गाती हो तो विना की सरगम लगती हो
तुम जब उठती हो नजर तो प्रभावती लगती हो
और जब जुकती है पलकों तो मधुर संध्याकाल लगता है
तुम इतनी सुन्दर दिखती हो की
सुन्दरता तुज से ही सुन्दर हुई है
लग टी है तुम इतनी सुन्दर .... अईसी तो सुन्दर....
जैसे कृष्ण की राधा लगती हो

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